Apoorva Shukla

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लेखनी कविता - सहयात्री

कई बार लोगों ने माँ ने भाई ने दोस्तों ने

पूछा क्यों लिखती हो.. 
 मैंने सोचा... 
मेरे पास कोई जवाब नहीं था 
मैंने उन्हें जवाब नहीं दिया... 
पर कुछ देर बाद
 मेरे दिल ने मुझे जवाब दिया.. 
तू नहीं लिखेंगी तो मर जाएगी 
ज़िंदगी तेरी बिखर जाएगी.. 
आंसू जो आंखों के अंदर,बहते रहे तेरे
 वो कलम के जरिए निकलते रहें
 तेरे दर्द धीरे-धीरे संभलते रहें.. 
फिर कैसे ना लिखूं मैं? 
दर्द जब चरम स्तर पर हो
तब पन्ने और कलम मेरी बिस्तर पर हो.
मृत्यु जब वरण करें मेरा 
तब जब चिता पर ले जाना 
मेरे साथ एक डायरी और कलम भी जलाना
अपूर्वा शुक्ला ✍✍✍
 
मेरी  सहयात्री मेरी कलम ही है.. 

# प्रतियोगिता सहयात्री

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8 Comments

Gunjan Kamal

16-Nov-2022 07:37 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Nice 👍👌

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Apoorva Shukla

15-Nov-2022 11:59 AM

Thanks

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👌🏼 👌🏼 👌🏼 लाजवाब

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Apoorva Shukla

15-Nov-2022 11:59 AM

शुक्रिया

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